नारी शब्द स्त्री वाचक है ,जो स्त्री पर्याय का बोध कराता हैं। इस संपूर्ण संसार में शायद ही कोई नारी के प्रेम रूपी सौंदर्य से अछूता रहा हो , मां की ममता से , बहन का प्यार से , पत्नी के सहयोग से.... कहीं ना कहीं से आंचलिक अनुभूति प्राप्त तो की ही होगी, और कहा भी जाता है कि " हर कामयाब पुरुष के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है " बात भी सही है कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप से महिला (स्त्री पर्याय) सहायता करती ही है , अब चाहे आर्थिक हो या मानसिक। यह तो सोचने की बात है , कि जिस समाज में स्त्री जाति का सरस्वती, गौरी, भवानी, देवी, आदि के रूप में सौंदर्य पूर्ण वर्णन किया गया हो , जहां पर देवियों (पार्वती, काली)को देवताओं से अधिक ओजपूर्ण एवं शक्तिशाली बताया गया हो । वहां पर स्त्रियों की दुर्दशा कैसे हो सकती है ? नहीं तो वहां का समाज पुरुष प्रधान कैसे हो सक...