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जून 24, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अटलता

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धरती अटल आकाश अटल पर मानव क्यों इतना भोला है अब मानव पर विश्वास रहा नहीं भाईचारा शर्तों में किंतु रहा वही यदि होता मानव चींटी सा…... तब भी ना करता पूर्ण कर्तव्यों को                           जाति धर्मो से लिंगो में बांट देता कर्मों को। यदि होता मानव कुत्ते सा......... तब भी ना करता सचेत वफादारों को,               घूस भ्रष्टाचारी खाकर पलने देता शैतानों को। यदि होता मानव पत्थर सा....... तब शिल्पकार सब मुक्त हुए,             क्योंकि छेनी की ठोकर से क्षणभंगुर में टूट गए। Writing time-01-01-2021 friday Written by Gamer Sandesh

सशक्त नारी सशक्त समाज

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           नारी शब्द स्त्री वाचक है ,जो स्त्री पर्याय का बोध कराता हैं।   इस संपूर्ण संसार में शायद ही कोई नारी के प्रेम रूपी सौंदर्य से अछूता रहा हो , मां की ममता से , बहन का प्यार से , पत्नी के सहयोग से.... कहीं ना कहीं से आंचलिक अनुभूति प्राप्त तो की ही होगी, और कहा भी जाता है कि "  हर कामयाब पुरुष   के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है "       बात भी सही है कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप से महिला   (स्त्री पर्याय) सहायता करती ही है , अब चाहे आर्थिक हो या   मानसिक। यह तो सोचने की बात है , कि जिस समाज में स्त्री जाति का सरस्वती, गौरी, भवानी, देवी, आदि के रूप में सौंदर्य पूर्ण वर्णन किया गया हो , जहां पर देवियों  (पार्वती, काली)को देवताओं से अधिक ओजपूर्ण एवं शक्तिशाली बताया गया हो । वहां पर स्त्रियों की दुर्दशा कैसे हो सकती है ?   नहीं तो  वहां का समाज पुरुष प्रधान कैसे हो सक...