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हारना नहीं है तुझको !!!

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 कदम चला कुछ तेज़ चला  कदम चला।कुछ तेज चला,  राह बड़ा मैदान खड़ा अगर यही तू रहा पड़ा कैसे हो सूर्योदय नया कदम चला कुछ तेज चला। परिवार बंधनों की बेड़ी  कुछ हद तक तो तुझे रोकेगी अपरिभाषित पथ की ओर कुछ मर्यादाएं टोकेगी पर कदम चला कुछ तेज चला। तू ने एक देह में रूप गड़ा कुछ सार्थक कर इस आकृति को कुछ वृद्धि कर अपने सिर को कुछ तप जलकर कंचन बन जा अरे कदम बढ़ा कुछ तेज चला यह राह अधूरी, मृत शय्या पल घड़ी पल गुजरी कड़ियाँ जो छोड़ चला तू आज यहीं वह मंजिल फिर कहीं और नहीं कदम चला कुछ तेज चला राह बड़ा मैदान पड़ा। MADE BY SANDESH SARAF  CLASS:12th MATH DATE:11/09/2022 DAY: SUNDAY TIME:MORNING PLACE:GURUKUL SCHOOL KHURAI ROOM CLASS 6th ,SAGAR,MADHYA PRADESH,INDIA.

प्रयोजन

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  नेत्र है पर सूरदास देख पाते हैं नहीं, मोह या सम्मोहनो के बीच फस जाते कहीं। सत्य और असत्य की रेखा बनी है नीतियों में, क्या ग्रहण क्या प्रति ग्रहण करता तू अपने अनुभवों में, देकर से करता अप्रयोजित कर्म पथ के , नष्ट कर सकती तुझे यह कर्म धर्म और भावनाएं, जैसे मध्य जल भवन में डूब जाती है जहाजे, नेत्र हैं पर.............. Writing time-13/02/2021    10:12AM Place-khurai gurukul. Written by Gamer Sandesh

अटलता

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धरती अटल आकाश अटल पर मानव क्यों इतना भोला है अब मानव पर विश्वास रहा नहीं भाईचारा शर्तों में किंतु रहा वही यदि होता मानव चींटी सा…... तब भी ना करता पूर्ण कर्तव्यों को                           जाति धर्मो से लिंगो में बांट देता कर्मों को। यदि होता मानव कुत्ते सा......... तब भी ना करता सचेत वफादारों को,               घूस भ्रष्टाचारी खाकर पलने देता शैतानों को। यदि होता मानव पत्थर सा....... तब शिल्पकार सब मुक्त हुए,             क्योंकि छेनी की ठोकर से क्षणभंगुर में टूट गए। Writing time-01-01-2021 friday Written by Gamer Sandesh

Rang karam ka jivan

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रंगमंच का फ़साना अपना सच छुपा कर किसी और का दिखाना यही है रंगमंच का फ़साना l दिल में ग़म हो  तब भी हँसे जाना,  दिल में खुशी हो तब भी रो के दिखाना,  यही है रंगमंच का फ़साना l अपनी प्रेयसी को  किसी और की बताना,  खुद बड़े भाई का,  फ़र्ज़ निभाना,  यही है रंगमंच का फ़साना l मौलिक स्वरचित् ( *शुभी जैन* )