मेरा पहला नाटक : नुक्कड़ नाटक

यूं तो मेरा वास्ता नाटक और साहित्य की गतिविधियों से दूर रहता था पर उस दिन की तो बात निराली ही है | यूं तो विद्यालय में आए व्यवस्थित समय ना हुआ था | पर फिर भी उस आठवीं के बाद से मुझे नाटक के लिए चुना जाना , मेरे लिए बड़ी बात थी | कहलाने के लिए तो संगीत विभाग का था , पर विद्यालय के नाटकों के दौर में यह मेरा पहला कदम था | मैं अपनी सीट से उठा और सुनील सर के समूह के साथ उनकी ही चाल में चल पड़ा विद्यालय के संगीत कक्ष के बगल वाले कक्ष में विद्यालय के संगीत के बाजू वाले कक्ष में सुनील सर ने स्क्रिप्ट सुनाई जो कि धूम्रपान नशे का निषेध करने के लिए जागरूक करता था सुनील ji ne किरदारों का बंटवारा किया और सभी ने अपने अपने डायलॉग लिख लिए | gaye. अब की तैयारी की बारी और तैयारी के लिए कैंटीन के ऊपर स्थान को चुना गया जहां पर काम अभी भी चल रहा था कहने के लिए तो यह एक्टिंग का प्रैक्टिस रूम बन चुका था, पर यहां पर रखे औजारों को एक और कर दिया गया | धीरे धीरे करके 1 -1 scene जोड़ जो...