.....वो पल बस याद रहे.....
आंगन मे खेला यादो मे झुला
मस्ती उमंग भावो को करे पुरा
न जाने सपने भी हो चले अपनो से परे
वो पल बस याद रहे......
खेलते हुए वह माँ की पुकार
प्रिय जीवन स्वछंद विचार
जीवन की उत्कृष्टता प्राणों में भरे
वो पल बस याद रहे.......
बचपन तो यु ही खेलो मे बीता जवानी मे चला रास्तो का पता
ना जाने क्यों भी हो चली मुझसे परे
वो पल बस याद रहे.
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