मेरा पहला नाटक : नुक्कड़ नाटक

यूं तो मेरा वास्ता नाटक और साहित्य की गतिविधियों से दूर रहता था पर उस दिन की तो बात निराली ही है | यूं तो विद्यालय में आए व्यवस्थित समय ना हुआ था | पर फिर भी उस आठवीं के बाद से मुझे नाटक के लिए चुना जाना , मेरे लिए बड़ी बात थी | कहलाने के लिए तो संगीत विभाग का था , पर विद्यालय के नाटकों के दौर में यह मेरा पहला कदम था | मैं अपनी सीट से उठा और सुनील सर के समूह के साथ उनकी ही चाल में चल पड़ा विद्यालय के संगीत कक्ष के बगल वाले कक्ष में विद्यालय के संगीत के बाजू वाले कक्ष में सुनील सर ने स्क्रिप्ट सुनाई जो कि धूम्रपान नशे का निषेध करने के लिए जागरूक करता था सुनील ji ne किरदारों का बंटवारा किया और सभी ने अपने अपने डायलॉग लिख लिए | gaye.




                                 अब की तैयारी की बारी और तैयारी के लिए कैंटीन के ऊपर स्थान को चुना गया जहां पर काम अभी भी चल रहा था कहने के लिए तो यह एक्टिंग का प्रैक्टिस रूम बन चुका था, पर यहां पर रखे औजारों को एक और कर दिया गया | धीरे धीरे करके 1 -1 scene जोड़ जोड़ कर हमारा नाटक निखरता गया | इस नाटक की तैयारी में Niyam jainरविकांत सोनी सर, महेंद्र सर आदि शिक्षकों का अनुभव जुड़ता चला गया | 



                                 अलग हुआ जब मैं अपने किरदार, नशा करने वाले मित्र के रुप में कर रहा था ; तब वहीं पर उपस्थित सोनू भैया जो किसी एक अंश को सही से नहीं कर पा रहे थे , मैंने जोश जोश में उनके डायलॉग को बोल दिया तो सभी का support मिला कि मुझको यह किरदार करना चाहिए | और पता नहीं कैसे उस दिन से मुख्य किरदार जो सोनू भैया कथा जो सोनू भैया का था वह मैं निभाने लगा था | धीरे-धीरे तैयारी चरम पर थी और script याद ना होने की समस्या भी | 

                                आखिरकार वह दिन आया , जब लास्ट के 2 period में कुछ आधा घंटा ही कम था, और मुझे क्लास से बुलाया गया | सभी नीचे ground floor गए जहां हमारा रूम था , सभी ने dress change की और इंतजार शुरू हो गया कि हम सभी को कब बुलाया जाए ? मंच के संचालन में श्री राम चतुर्वेदी सर जी ने पूरे बच्चों के समूह को संबोधित किया और उस दिन होने वाली नाटक प्रतियोगिता के संबंध में अपना वक्त तो दिया इसके बाद उन्होंने हमारे नाटक को आवाज दी और हम सभी आश्चर्य से डरे हुए झिझक से भरे हुए मंच की ओर बढ़े अपनी अपनी जगह ली और नुक्कड़ नाटक को उत्कंठा से पूर्ण किया अंत में मेरे मेरा mic हट जाने पर भी मैंने अपने नाटक को पूर्ण किया | 

                                 अंत में पूरा विद्यालय हमारे समय मेहनत कक्षाओं के बलिदान का हृदय से सम्मान करता हुआ तालियों की गड़-गड़ाहट से गूंज रहा था|

Written date: 06/01/2022

Day : Thursday

Time : 7:37-8:00 PM


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